वर्ण से वाक्य का सफ़र: वृहद व्यावहारिक व्याकरण

Led by Dr. Rajeshwari G

किसी भी भाषा को सही तरीके से और शुद्ध रूप से बोलने-लिखने और समझने के लिए प्रयुक्त नियम व्याकरण कहलाते हैं। भावों व विचारों के प्रभावी संचरण के लिए व्याकरण के ज्ञान और प्रयोग पर आधारित प्रस्तुत कार्यशाला में निम्नलिखित विषयों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला जाएगा। ये सिद्धांताधारित, प्रयोगात्मक और संवादपरक पाँच दिवसीय शैक्षणिक सत्र कुल दस घंटों की अवधि में गागर में सागर भरने का उपक्रम समेटे हैं।

वर्ण से वाक्य की यात्रा के शुभारंभ में वर्णों के क्रम का उद्देश्य समझते हुए शब्दों की वर्तनी की शुद्धता पर विचार करेंगे। संज्ञा-सर्वनाम की पहचान करते हुए उनके विशेषणों को विस्तार से समझेंगे। उचित कारक तथा विराम-चिह्नों का प्रयोग करते हुए वाक्यनिर्माण के नियम जानेंगे। क्रिया की प्रक्रिया, क्रिया विशेषण, क्रिया का समय बताने वाले काल के प्रकार और नियमों पर विमर्श करेंगे। संबंधबोधक – समुच्चय बोधक- अव्यय पर चिंतन करते हुए लिंग-वचन का विस्तृत अध्ययन करेंगे। उपसर्ग – प्रत्यय, विलोम-पर्यायवाची, अनेकार्थक शब्द, वाच्य के भेद पता करेंगे। औपचारिक एवं अनौपचारिक पत्र लेखन का प्रारूप सीखकर निबंध लेखन की कला के कौशल को आत्मसात करते हुए इस यात्रा को पूर्णता पर पहुँचाएँगे।


Dr. Rajeshwari holds an M.Sc and a Ph.D. in Chemistry from IIT Roorkee, an M.A in Hindi from IGNOU, and an M.Phil and a Ph.D. from Jain University, Bengaluru. Her academic journey also includes a PGDC in Guidance and Counselling from ICTRC New Delhi, and an M.A. in Psychology from IGNOU. A life changing event inspired her to delve into the world of alternative methods of healing. Over the last 27 years, she gained proficiency in various ‘energy healing’ techniques and ‘mind medicine’. Along the way, she commenced her journey in teaching and furthered her expertise in Hindi. Teaching has since become an unexpected but cherished endeavour for her. Rajeshwari is also passionate about learning languages and expressing her thoughts through poetry.